जो दिखाई देता है वो हंमेशा सच नहीं होता
प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है, आनंद बाहर से नहीं आता। कमजोर होते है वो लोग जो शिकवा किया करते है, उगने वाले तो पत्थर का सीना चिर के भी उगा करते है। जो दिखाई देता है वो हंमेशा सच नहीं होता, कहीं धोखे में आँखे है और कहीं आँखों के धोखे है। एक मुँह और दो कान का अर्थ है कि हम अगर एक बात बोलें तो कम से कम दो बात सुनें भी। दिमाग पेराशूट के सामान है, वह तभी सही दिशा में कार्य करता है, जबकि वह खुला हुआ हो। हुनर तो सबमें होता है, फर्क सिर्फ इतना है की किसी का छिप जाता है तो किसी का छप जाते है। प्यार कोई चीज नहीं, जिसे महेनत से हांसिल किया जाए, प्यार कोई मुकद्दर नहीं, जिसे तक़दीर पे छोड़ा जाए, प्यार एक यकीन है भरोसा है, लेकिन यह इतना आसान नहीं, की किसीसे भी किया जाए। सलाह देने वाले लोग होते हुए भी, अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है। सार्थक और प्रभावी उपदेश सिर्फ वह है, जो वाणी से नहीं अपने आचरण से प्रस्तुत किया जाता है। छाता और दिमाग जब खुले हो, तभी उचित प्रयोग में आते है, वरना फिझुल में बोझ बढाते है। देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी, बंद आँखों